Slump Test स्लम टेस्ट
🧱 Slump Test in Concrete (स्लंप टेस्ट क्या है?)
🔹 परिचय (Introduction)
कंक्रीट निर्माण कार्यों में उसकी वर्केबिलिटी (Workability) यानी कार्य करने की क्षमता को जांचने के लिए विभिन्न परीक्षण (Tests) किए जाते हैं। उन्हीं में से सबसे सामान्य और आसान टेस्ट है — Slump Test।
यह टेस्ट हमें यह बताने में मदद करता है कि कंक्रीट का मिश्रण कितना प्लास्टिक, चिकना और कार्य करने योग्य है।
साधारण शब्दों में, स्लंप टेस्ट का उद्देश्य यह पता लगाना होता है कि कंक्रीट को डालने, फैलाने और कॉम्पैक्ट करने में कितनी आसानी होगी।
| True Slump |
🔹 स्लंप टेस्ट की परिभाषा (Definition of Slump Test)
Slump Test एक field test है जिसका प्रयोग ताज़ा (fresh) कंक्रीट की workability या consistency को मापने के लिए किया जाता है।
इसमें कंक्रीट के नमूने को एक standard conical mould (स्लंप कोन) में भरकर और फिर उसे निकालकर माप किया जाता है कि मिश्रण कितना झुकता या गिरता है — इसी गिरावट को Slump Value कहा जाता है।
🔹 स्लंप टेस्ट करने का उद्देश्य (Purpose of Slump Test)
स्लंप टेस्ट का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कंक्रीट मिश्रण में पानी, सीमेंट और एग्रीगेट का अनुपात उचित है या नहीं।
नीचे कुछ प्रमुख उद्देश्यों की सूची दी गई है:
- ताज़ा कंक्रीट की workability जांचने के लिए।
- विभिन्न बैचों में बने कंक्रीट की uniformity बनाए रखने के लिए।
- Mix proportioning की जांच के लिए।
- Site control test के रूप में उपयोग करने के लिए।
- कंक्रीट की consistency और cohesiveness पता करने के लिए।
Slump test
🔹 स्लंप टेस्ट करने के लिए आवश्यक उपकरण (Apparatus Required)
स्लंप टेस्ट के लिए कुछ विशेष उपकरणों की आवश्यकता होती है। ये हैं:
| उपकरण का नाम | उपयोग |
|---|---|
| Slump Cone (मोल्ड) | कंक्रीट डालने के लिए उपयोग किया जाने वाला स्टील या ब्रास का कोन आकार मोल्ड |
| Tamping Rod (टेम्पिंग रॉड) | कंक्रीट को कॉम्पैक्ट करने के लिए उपयोग होने वाली 16 mm डायमीटर और 600 mm लंबी स्टील रॉड |
| Base Plate | स्लंप कोन रखने के लिए समतल प्लेट |
| Scale or Measuring Tape | स्लंप की ऊँचाई मापने के लिए |
| Trowel and Scoop | कंक्रीट भरने और समतल करने के लिए |
| Non-absorbent surface | टेस्ट करने के लिए चिकनी और पानी न सोखने वाली सतह |
🔹 स्लंप कोन का माप (Dimensions of Slump Cone)
स्लंप कोन एक फ्रस्टम (Frustum of Cone) आकार का मोल्ड होता है। इसका माप निम्न प्रकार है:
- ऊँचाई (Height): 300 mm
- ऊपरी व्यास (Top Diameter): 100 mm
- निचला व्यास (Bottom Diameter): 200 mm
🔹 स्लंप टेस्ट करने की प्रक्रिया (Procedure of Slump Test)
अब देखते हैं कि स्लंप टेस्ट कैसे किया जाता है — यह प्रक्रिया पूरी तरह IS 1199:1959 के अनुसार होती है।
चरण 1️⃣ – सतह की तैयारी
सबसे पहले एक non-absorbent, smooth सतह तैयार करें ताकि पानी न सोखे। उस पर base plate रखें।
चरण 2️⃣ – मोल्ड की स्थिति
स्लंप कोन को बेस प्लेट पर रखें और उसके दोनों हैंडल को मजबूती से पकड़ें। कोन के नीचे का हिस्सा प्लेट से पूरी तरह संपर्क में होना चाहिए।
चरण 3️⃣ – मोल्ड भरना
कंक्रीट कोन में तीन बराबर परतों में भरा जाता है।
हर परत भरने के बाद tamping rod से 25 बार ठोका जाता है ताकि हवा के बुलबुले निकल जाएं और मिश्रण घना हो।
चरण 4️⃣ – मोल्ड समतल करना
तीसरी परत भरने के बाद, ऊपर से कंक्रीट को trowel से समतल कर दें।
चरण 5️⃣ – मोल्ड उठाना
अब स्लंप कोन को ऊर्ध्वाधर दिशा (Vertically upward) में धीरे-धीरे 5 से 10 सेकंड में उठाएं। ध्यान रखें कि झटका या हिलाना नहीं चाहिए।
चरण 6️⃣ – स्लंप मापना
कोन उठाने के बाद कंक्रीट नीचे बैठ जाता है।
अब मूल ऊँचाई (300 mm) और स्लंप हुई ऊँचाई के बीच का अंतर Slump Value (in mm) कहलाता है।
🔹 स्लंप के प्रकार (Types of Slump)
कंक्रीट के व्यवहार के अनुसार स्लंप चार प्रकार का होता है:
-
True Slump (ट्रू स्लंप):
कंक्रीट समान रूप से नीचे बैठ जाता है और अपने आकार को बनाए रखता है।
👉 यह एक Good workable concrete का संकेत है। -
Shear Slump (शियर स्लंप):
कंक्रीट एक साइड की ओर खिसक जाता है।
👉 यह दर्शाता है कि मिश्रण में cohesion कम है। -
Collapse Slump (कोलैप्स स्लंप):
कंक्रीट पूरी तरह गिर जाता है।
👉 यह अत्यधिक पानी या over workable कंक्रीट को दर्शाता है। -
Zero Slump (जीरो स्लंप):
जब कंक्रीट की ऊँचाई में कोई गिरावट नहीं होती।
👉 यह very stiff और low workability कंक्रीट को दर्शाता है, जैसे — रोड कंक्रीट या पावमेंट के लिए उपयोग होने वाला।
🔹 स्लंप वैल्यू के आधार पर वर्केबिलिटी का निर्धारण (Workability Range)
| Slump Value (mm) | Workability Type | उपयोग |
|---|---|---|
| 0 – 25 mm | Very Low | रोड, डैम, फाउंडेशन |
| 25 – 50 mm | Low | RCC फाउंडेशन, फुटिंग |
| 50 – 100 mm | Medium | बीम, कॉलम, स्लैब |
| 100 – 150 mm | High | पंप्ड कंक्रीट, स्लिप फॉर्म |
🔹 स्लंप टेस्ट के परिणाम का विश्लेषण (Interpretation of Results)
स्लंप टेस्ट से प्राप्त वैल्यू से यह पता चलता है कि कंक्रीट में पानी का अनुपात सही है या नहीं।
- यदि स्लंप बहुत कम है ⇒ मिश्रण कठोर है, कार्य करना कठिन होगा।
- यदि स्लंप बहुत ज्यादा है ⇒ कंक्रीट बहुत गीला है, स्ट्रेंथ कम हो सकती है।
- यदि स्लंप सही सीमा में है ⇒ कंक्रीट अच्छी वर्केबिलिटी और स्ट्रेंथ वाला होगा।
🔹 स्लंप टेस्ट के फायदे (Advantages of Slump Test)
- यह तेज़ और आसान टेस्ट है।
- Site पर ही किया जा सकता है।
- इसके लिए कम उपकरणों की आवश्यकता होती है।
- Immediate result प्राप्त होता है।
- यह Concrete Mix Quality Control में बहुत उपयोगी है।
🔹 स्लंप टेस्ट की सीमाएँ (Limitations of Slump Test)
- यह केवल medium workability कंक्रीट के लिए उपयुक्त है।
- बहुत stiff या flowable concrete के लिए यह टेस्ट सटीक परिणाम नहीं देता।
- परिणाम Operator skill पर निर्भर करता है।
- इससे केवल workability का अनुमान मिलता है, strength नहीं।
- तापमान और आर्द्रता (humidity) परिणाम को प्रभावित करते हैं।
🔹 स्लंप टेस्ट से संबंधित मानक कोड (IS Code)
भारत में स्लंप टेस्ट IS 1199:1959 के अनुसार किया जाता है।
इसके अलावा निम्न अंतर्राष्ट्रीय मानक भी प्रचलित हैं:
- ASTM C143 / C143M – 15a
- BS EN 12350-2 : 2019
🔹 स्लंप टेस्ट का एक उदाहरण (Example)
मान लीजिए स्लंप टेस्ट के बाद कंक्रीट की मूल ऊँचाई 300 mm थी और स्लंप के बाद उसकी ऊँचाई 240 mm रह गई।
तो स्लंप वैल्यू = 300 – 240 = 60 mm
👉 यानी यह Medium Workable Concrete है।
🔹 स्लंप टेस्ट करते समय ध्यान देने योग्य बातें (Precautions)
- कोन और बेस प्लेट को साफ और सूखा रखें।
- कंक्रीट को मोल्ड में भरते समय परतें बराबर होनी चाहिए।
- मोल्ड को उठाते समय धीरे और सीधा उठाएं।
- टेस्ट को मिश्रण बनने के 2 मिनट के अंदर कर लेना चाहिए।
- परिणाम लिखते समय तापमान और समय भी नोट करें।
🔹 स्लंप टेस्ट के विकल्प (Alternative Tests)
जब स्लंप टेस्ट उपयुक्त न हो, तब अन्य टेस्ट का प्रयोग किया जाता है, जैसे:
- Compaction Factor Test
- Flow Table Test
- Vee-Bee Consistometer Test
- Kelly Ball Test
🔹 स्लंप टेस्ट का महत्व (Importance in Construction)
स्लंप टेस्ट कंक्रीट की गुणवत्ता और व्यवहार का पहला संकेतक होता है।
इसे हर batch of concrete के बाद किया जाना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मिक्स समान है।
इससे over-watered या under-mixed कंक्रीट को तुरंत रोका जा सकता है, जिससे भविष्य में cracks, honeycombing, या strength failure जैसी समस्याएँ नहीं आतीं।
🔹 निष्कर्ष (Conclusion)
स्लंप टेस्ट एक सरल, सस्ता और प्रभावी तरीका है जिससे साइट पर ही कंक्रीट की workability का अनुमान लगाया जा सकता है।
यह हर निर्माण स्थल पर quality control के लिए आवश्यक है।
हालांकि यह strength का परीक्षण नहीं करता, लेकिन इससे यह निश्चित किया जा सकता है कि कंक्रीट का mix proportion और water-cement ratio सही है या नहीं।
इसलिए, जब भी कंक्रीट तैयार किया जाए, स्लंप टेस्ट करना एक अनिवार्य प्रक्रिया होनी चाहिए ताकि निर्माण मजबूत, टिकाऊ और गुणवत्तापूर्ण बने।
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