बीम के प्रकार Tipes of beam
Beam (बीम) building structure का वह मेंबर होता है जिस पर छत रखा जाता है। छत अगर RCC का हो तो हो तो उसका बीम भी RCC का ही होगा , छत अगर sheet (शीट) या कबेलू का हो तो उसमें बीम RCC , लोहे के पाइप या लकड़ी के Raftor के बीम दे सकते हैं। बीम छत का आधार होता है। छत का वजन पहले बीम पर ही आता है उसके बाद कॉलम में जाता हैं।
दूसरे शब्दों में बीम बिल्डिंग का एक होरिजेंटल मेंबर होता है जिसमें Slab का भार आता है और यह भार को बीम कॉलम में ट्रांसफर करता है।
बीम निम्न प्रकार की होती है
1. Cantilever beam
2. Simply support beam
3. Overhanging beam
4. Continuous beam
5. Fixed ended beam
6. Cantilever simply support beam
1. Cantilever beam - ( Cantilever beam) यह Beam वह होता है , जिस बीम में एक सिरा फिक्स्ड (fixed) और दूसरा सिरा मुक्त या फ्री होता है। यह beam एक तरफ से कॉलम का सपोर्ट होता है और दूसरी तरफ फ्री हवा में लटकता है। Cantilever beam का का काम है कि किसी सहारे से कुछ दूर खाली जगह में उसके ऊपर space (जगह) बनाना। Cantilever beam सज्जा , बालकनी आदि में दिया जाता है ,Cantilever beam पुलों में भी दिया जाता है।
इस बीम पर लोहा सामान्यतः सभी बीम के समान ही लगाया जाता है लेकिन रिंग को बांधने का तरीका अलग होता है। सभी बीम में रिंग का मुंह ऊपर के तरफ की जाती है लेकिन Cantilever beam में रिंग के हूक का फेस नीचे की तरफ किया जाता है वह भी अल्टरनेट। इस बीम में सहारा एक तरफ ही होता है, यानी कि एक तरफ फिक्स रहता है और एक तरफ मुक्त (free ) होता है। एक ही तरफ से दोनों तरफ का बैलेंस बनाए रखता है इसलिए हुक का फेस नीचे की तरफ की जाती है।
2. Simply support beam - जिस बीम में दोनों तरफ से सपोर्ट हो उस बीम को Simply support beam कहते हैं। यह बीम का एक सिरा fixed रहता है और दूसरा सिरा कॉलम में रहता है। । यह बीम क्षैतिज (Horizontal) रूप से घूमने के लिए स्वतंत्र होती है। जिसे हम Simply support beam कहते हैं।
इस बीम में Tension force (तानन बल) जहां पर लगता है। वहां पर हम एक्स्ट्रा लोहा (extra steel) देते हैं। बीम में Tension force के जगह में दो कॉलम के बीच में L/4 की लंबाई पर दोनों तरफ एक्स्ट्रा लोहा देते हैं। बीम में Compression Force बीम के बीच में यानी इफेक्टिव लेंथ के 1/2 लंबाई पर टेंशन बल ज्यादा लगता है। तो हमें वहां पर भी एक्स्ट्रा लोहा देना होता है उस portion
3. Overhanging beam - Overhanging beam ये वे बीम होती है जो सपोर्ट में एक तरफ यह दोनों तरफ आगे बाहर निकला होता है। इस प्रकार की बीम का उपयोग बालकनी यह सच्चे , गैलरी आदि में किया जाता है। इस बीम में टेंशन बाल सपोर्ट के पास में ऊपर तरफ लगता है। और कंप्रेशन बल स्पोर्ट के पास में नीचे की तरफ लगता है। इस बीम में सपोर्ट एक तरफ ही होता है।
ओवर हैंगिंग बीम में रिंग की हुक का सिरा नीचे की तरफ करके अल्टरनेट लगाया जाता है। बाकी सभी बीमों में हुक का सिरा ऊपर तरफ किया जाता है। इस बीम के सहारे भले ही नीचे जगह कम हो लेकिन ऊपर गैलरी , बालकनी या सज्जा आराम से निकाल सकते हैं।
4. Continuous beam - यह बीम दो या से ज्यादा सपोर्ट पर टिकी रहती है। जिसे हम Continuous beam कहते हैं। इस प्रकार की बीम लंबे चौड़े बिल्डिंग में देखने को ज्यादा मिलती है। इस बीम पर तानन बल (Tensions force ) सपोर्ट के पास में ऊपर के दोनों तरफ लगता है। और दो कॉलम के बीच में बीम के नीचे की तरफ सेंटर में तानन बल ( Tension force) लगता है। बीम के केंद्र में ऊपर की तरफ कंप्रेशन बल लगता है। और बीम के दोनों किनारों पर सपोर्ट के पास में दोनों तरफ नीचे की ओर कंप्रेशन बल (Compression Force) लगता है।
इस बीम में जहां पर टेंशन फोर्स लगता है , वहां पर हम एक्स्ट्रा लोहा provide करते हैं। इस बीम में रिंग की दूरी 15 सेमी से ज्यादा नहीं रखना चाहिए। और हुक का सिरा हमेशा ऊपर की ओर रखना चाहिए। इस प्रकार की बीम क्रैक या कार्टेल करके एक्स्ट्रा को देते हैं।
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5. Fixed ended beam - Fixed ended beam वह बीम होती है जिसके सिरे स्थिर या फिक्स हो उसे हम फिक्स्ड एंड्राइड बीम कहते हैं। इन बीमों को अपने सिरों को घूमने की कोई स्वतंत्रता नहीं होती है। इस प्रकार के बीमों को बिल्कुल भी इधर-उधर घुमाया नहीं जा सकता। ज्यादातर ऊंची इमारतों में Fixed ended बीम का इस्तेमाल किया जाता है। इस बीम का उपयोग ट्रस और इसी प्रकार की संरचना में किया जाता है।
इस प्रकार की बीमों में Top extra bar L/4 ( L= दो कॉलम के बीच की दूरी) में Top पर बीम के दोनों किनारों में दिया जाता है। Bottom extra bar बीम के Centre में L/6 या L0.7 पर केंद्र में नीचे तरफ दिया जाता है। इस बीम दोनों किनारों या छौर पर आखरी में कॉलम पर Development length (डेवलपमेंट लेंथ) ज्यादा बढ़ा दिया जाता है। उसकी लेंथ दोनों तरफ 45 D से 50 D (D= steel ka dia ) तक बढ़ा दिया जाता है। और Anchor bar 10 D अधिक बढ़ा के लेते हैं।
6. Cantilever simply support beam - अगर बीम का एक सिरा फ्री हो और दूसरा सिरा columb पर रखा हो तो उसे Cantilever beam कहते हैं और अगर वही बीम और आगे बढ़कर एक Column से दूसरी Column तक रखी हुई हो तो उसे Cantilever simply support beam कहते हैं। यह बीम रेजिडेंसी बिल्डिंग में आसानी से देखने को मिल जाती है। इस बीम पर Cantilever beam वाली बीम में रिंग के हुक का सिरा नीचे तरफ किया जाता है। और जहां सिंपली सपोर्ट बीम होती है वहां पर रिंग के हूक का सिरा ऊपर की तरफ किया जाता है। जो लोहा बीम का मेन बार हो वे लोहे से ही आगे बढ़ाकर सिंपली सपोर्ट और कैंटीलीवर बीम तक आगे बढ़ाया जाता है। यानी कि बीम की मेन बार के लिए एक्स्ट्रा ओवरलैप नहीं देते। सिंपली सपोर्ट बीम की मेन बार को ही आगे तक बढ़ाया जाता है।




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