रोड कितने प्रकार की होती है? | Types of Roads in Civil Engineering
रोड कितने प्रकार की होती है? | Types of Roads in Civil Engineering
प्रस्तावना
रोड (Road) किसी भी देश की आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक प्रगति की रीढ़ होती है। अच्छी सड़कों के बिना न तो व्यापार का विकास संभव है और न ही ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों का समुचित संपर्क। सिविल इंजीनियरिंग में रोड का निर्माण एक अत्यंत महत्वपूर्ण विषय है, क्योंकि यह यातायात की सुविधा, सुरक्षा और समय की बचत से सीधा जुड़ा हुआ है।
भारत जैसे विशाल देश में सड़क नेटवर्क (Road Network) को “देश की जीवन रेखा” कहा जाता है। यही कारण है कि समय-समय पर सड़क निर्माण की आधुनिक तकनीकों और उनकी श्रेणियों (Types) पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
इस ब्लॉग में हम विस्तार से समझेंगे कि रोड कितने प्रकार की होती है, उनके वर्गीकरण (Classification), विशेषताएँ, उपयोग, लाभ-हानि और भारतीय परिस्थितियों में उनकी उपयोगिता क्या है।
सड़क का महत्व (Importance of Roads)
- व्यापार और उद्योग के विकास में सहायक
- ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों को जोड़ने वाला प्रमुख साधन
- रोजगार के अवसर बढ़ाने वाला
- कृषि उत्पादों के वितरण में सहायक
- पर्यटन और सामाजिक विकास का आधार
सड़क का वर्गीकरण (Classification of Roads)
सड़कों को कई आधारों पर वर्गीकृत किया जाता है। मुख्य रूप से सड़कें निम्नलिखित आधारों पर बांटी जाती हैं:
- सतह (Surface) के आधार पर
- उपयोग (Traffic Use) के आधार पर
- निर्माण सामग्री (Construction Material) के आधार पर
- भार वहन क्षमता (Load Bearing Capacity) के आधार पर
- प्रशासनिक (Administrative) वर्गीकरण के आधार पर
अब हम प्रत्येक वर्गीकरण को विस्तार से समझेंगे।
1. सतह के आधार पर सड़कें (Types of Roads Based on Surface)
(A) कच्ची सड़क (Earthen Roads)
- यह मिट्टी से बनी सड़कें होती हैं।
- इन्हें बनाने में खर्च बहुत कम आता है।
- प्रायः ग्रामीण क्षेत्रों में पाई जाती हैं।
- बरसात में इनका उपयोग कठिन हो जाता है।
- लाभ – सस्ती, जल्दी बन जाती हैं।
- हानि – स्थायित्व नहीं होता, आसानी से खराब हो जाती हैं।
(B) ग्रेवल सड़क (Gravel Roads)
- इन सड़कों में मिट्टी के ऊपर गिट्टी बिछाई जाती है।
- कच्ची सड़क से मजबूत होती हैं।
- निर्माण में खर्च मध्यम स्तर का होता है।
- गाँव और कस्बों को जोड़ने के लिए उपयुक्त।
(C) वॉटर बाउंड मैकडम (WBM Roads)
- इन्हें पत्थर की परतों और स्टोन डस्ट से बनाया जाता है।
- ब्रिटिश इंजीनियर John Macadam ने इस तकनीक को विकसित किया था।
- भारत में ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में आमतौर पर पाई जाती हैं।
- लाभ – मजबूत, टिकाऊ, कम खर्चीली।
- हानि – पानी के कारण जल्दी खराब हो जाती हैं।
(D) बिटुमिनस सड़क (Bituminous Roads)
- इसे आम भाषा में टार रोड या ब्लैक टॉप रोड कहा जाता है।
- इसमें बिटुमिन (कोलतार) का प्रयोग बाइंडर के रूप में किया जाता है।
- शहरों और हाइवे में सबसे ज्यादा प्रयोग।
- लाभ – स्मूद सतह, तेज गति, आरामदायक यात्रा।
- हानि – अधिक गर्मी या अधिक पानी में खराब होने की संभावना।
(E) कंक्रीट सड़क (Concrete Roads)
- सीमेंट, रेत, गिट्टी और पानी से बनी सुदृढ़ सड़कें।
- सबसे मजबूत और टिकाऊ सड़क।
- निर्माण में खर्च ज्यादा लेकिन रखरखाव कम।
- नेशनल हाइवे और एयरपोर्ट रनवे पर प्रयोग।
- लाभ – 30–40 साल तक टिक सकती है।
- हानि – प्रारंभिक लागत अधिक।
2. उपयोग (Traffic Use) के आधार पर सड़कें
(A) ग्रामीण सड़कें (Rural Roads)
- गाँवों को आपस में और कस्बों से जोड़ती हैं।
- प्रायः कच्ची या ग्रेवल सड़कें होती हैं।
(B) शहरी सड़कें (Urban Roads)
- शहरों के अंदर बनी सड़कें।
- इनमें चौड़ीकरण, ट्रैफिक सिग्नल, फुटपाथ आदि का ध्यान रखा जाता है।
(C) हाईवे (Highways)
- राज्य और राष्ट्रीय स्तर की प्रमुख सड़कें।
- लंबी दूरी तय करने के लिए बनाई जाती हैं।
(D) एक्सप्रेसवे (Expressways)
- हाई-स्पीड व्हीकल्स के लिए डिजाइन की गई सड़कें।
- पूरी तरह नियंत्रित एक्सेस (Controlled Access) होती है।
- उदाहरण – यमुना एक्सप्रेसवे, दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे।
3. निर्माण सामग्री (Construction Material) के आधार पर सड़कें
- मिट्टी की सड़क (Earthen Road)
- गिट्टी वाली सड़क (Gravel Road)
- ईंट/फ्लैग स्टोन रोड (Brick/Stone Road)
- बिटुमिनस रोड
- कंक्रीट रोड
4. भार वहन क्षमता (Load Bearing Capacity) के आधार पर
(A) लो-कैटेगरी रोड (Low Volume Roads)
- हल्के वाहनों और कम ट्रैफिक के लिए।
- गाँवों और छोटे कस्बों में।
(B) मीडियम कैटेगरी रोड (Medium Volume Roads)
- मध्यम यातायात वाले क्षेत्र में।
- राज्य राजमार्ग और जिला सड़कें।
(C) हाई-कैटेगरी रोड (High Volume Roads)
- अधिक ट्रैफिक और भारी वाहनों के लिए।
- नेशनल हाईवे और एक्सप्रेसवे।
5. प्रशासनिक आधार पर सड़कें (Administrative Classification in India)
(A) नेशनल हाईवे (National Highways – NH)
- भारत के प्रमुख शहरों और राज्यों को जोड़ती हैं।
- भारत सरकार द्वारा नियंत्रित।
- उदाहरण: NH-44 (भारत की सबसे लंबी सड़क)।
(B) स्टेट हाईवे (State Highways – SH)
- राज्य सरकार द्वारा नियंत्रित।
- राज्य के प्रमुख शहरों और जिला मुख्यालयों को जोड़ती हैं।
(C) मेजर डिस्ट्रिक्ट रोड्स (MDR)
- जिले के प्रमुख कस्बों और गाँवों को जोड़ती हैं।
(D) माइनर डिस्ट्रिक्ट रोड्स (ODR)
- छोटे गाँव और कस्बों को जोड़ने वाली।
(E) गाँव की सड़कें (Village Roads)
- ग्रामीण स्तर पर छोटे रास्ते।
भारत में सड़क विकास कार्यक्रम
भारत सरकार ने सड़क विकास के लिए कई योजनाएँ चलाईं:
- प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY)
- नेशनल हाईवे डेवलपमेंट प्रोजेक्ट (NHDP)
- भारतमाला प्रोजेक्ट
- गोल्डन क्वाड्रिलेटरल प्रोजेक्ट (GQ)
आधुनिक सड़कें (Modern Road Types)
- फ्लाईओवर और एलिवेटेड रोड्स
- स्मार्ट रोड्स (Sensor-Based)
- ग्रीन रोड्स (Eco-Friendly Roads)
- प्लास्टिक रोड्स (Waste Plastic से बनी सड़कें)
- सोलर रोड्स (सड़क में सोलर पैनल लगे हुए)
निष्कर्ष (Conclusion)
सड़कें किसी भी देश की आर्थिक धुरी होती हैं। कच्ची से लेकर एक्सप्रेसवे तक हर प्रकार की सड़क की अपनी-अपनी उपयोगिता है। आज के समय में न केवल मजबूत सड़कें जरूरी हैं, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल और टिकाऊ सड़कें बनाना भी उतना ही महत्वपूर्ण हो गया है।
भारत में तेजी से सड़क नेटवर्क का विस्तार हो रहा है और आने वाले समय में स्मार्ट रोड्स और ग्रीन रोड्स भविष्य की जरूरत बनेंगी।
हमारे और भी पॉपुलर पोस्ट हैं जिन्हें आप पढ़ना चाहे तो लिंक है जैसे
FSI क्या है ? मकान बनाने से पहले जानना क्यों जरुरी हैं?
[https://successfulcivilengineering.blogspot.com/2025/08/httpswww.blogger.comblogpostedit85486828334575671744016832914739952528.html]
किसी मकान में गुनिया कैसे बनाएं
[https://successfulcivilengineering.blogspot.com/2024/07/blog-post.html ]
फिट इंच को फिट इंच से कैसे घटाएं
[https://successfulcivilengineering.blogspot.com/2024/04/fit-inch-ko-fit-inch-se-kaise-ghataen.html ]
मकान कैसे बनाए 👉https://successfulcivilengineering.blogspot.com/2025/07/blog-post.html
हमारे facebook grup को ज्वाइन किजिए और इस तरह सिविल इंजीनियर संबंधित पोस्ट रोज अपने facebook में पाइए। [https://www.facebook.com/share/p/17LFEQxaiW/]
Comments