Beam Construction: बीम में स्टील, रिंग, हुक और प्रकार की संपूर्ण जानकारी
🏗️ बिल्डिंग की Beam कैसे बनाएं?
1. परिचय (Introduction)
किसी भी बिल्डिंग का स्ट्रक्चर उसकी मजबूती और स्थिरता पर आधारित होता है। इस स्ट्रक्चर को मजबूती देने में बीम (Beam) का बहुत बड़ा योगदान है।
बीम वह स्ट्रक्चरल एलिमेंट है जो कॉलम से लोड लेकर दीवारों और स्लैब को सपोर्ट करता है और उसे नींव तक ट्रांसफर करता है। अगर बीम सही से न बनाई जाए, तो बिल्डिंग में क्रैक, झुकाव और स्ट्रक्चरल फेलियर जैसी समस्याएँ आ सकती हैं।
सरल शब्दों में:
- बीम = क्षैतिज सदस्य (Horizontal Member)
- काम = लोड ट्रांसफर + स्लैब और दीवार को सपोर्ट
2. बीम का महत्व (Importance of Beam in Building Construction)
- स्लैब और दीवार का पूरा भार कॉलम तक पहुँचाना।
- स्ट्रक्चर को स्थिरता देना।
- वर्टिकल लोड (Load from slab, wall, furniture) और हॉरिजॉन्टल लोड (Wind, Earthquake) को झेलना।
- बिल्डिंग को क्रैक-फ्री और लंबे समय तक टिकाऊ बनाना।
Bar bending schedule in beam
3. बीम पर लगने वाले लोड (Types of Loads on Beam)
बीम का डिजाइन तभी सही होगा जब उस पर लगने वाले सभी लोड समझे जाएं।
-
Dead Load (DL):
स्लैब, दीवार, खुद बीम और फिनिशिंग का वज़न। -
Live Load (LL):
लोगों, फर्नीचर, मशीन, वाहनों का वज़न। -
Superimposed Load (SL):
फ्लोरिंग, टाइल्स, फॉल्स सीलिंग, प्लास्टर आदि का वज़न। -
Wind Load / Earthquake Load:
ऊँची बिल्डिंग में हवा और भूकंप का असर।
4. बीम के लिए स्टील डिटेलिंग (Steel Detailing in Beam)
बीम में सबसे महत्वपूर्ण है – लोहे की पोजीशनिंग और मात्रा।
अगर स्टील सही तरीके से न लगाया जाए तो बीम झुक सकती है या टूट सकती है।
(A) मेन बार (Main Bars)
- बीम के बॉटम (निचले हिस्से) में लगाए जाते हैं।
- बीम को झुकने (Bending) से बचाते हैं।
- सामान्यतः 12mm, 16mm, 20mm के TMT बार इस्तेमाल होते हैं।

Main bar in beam
(B) टॉप बार (Top Bars)
- बीम के ऊपरी हिस्से में लगाए जाते हैं।
- ये बार Negative Bending Moment को रोकते हैं (जहाँ बीम कॉलम से जुड़ी रहती है)।

Top extra bar in beam
(C) एक्स्ट्रा बार (Extra Bars)
बीम में केवल सीधी स्टील लगाना पर्याप्त नहीं है।
जहाँ मोमेंट (Moment) ज्यादा होता है वहाँ Extra Steel लगाया जाता है।
-
बॉटम एक्स्ट्रा बार:
Simply Supported Beam में बीच के हिस्से (Mid-Span) में लगाया जाता है।
ताकि झुकाव (Sagging) को रोका जा सके। -
टॉप एक्स्ट्रा बार:
बीम और कॉलम जॉइंट पर लगाया जाता है।
ताकि Negative Bending Moment और क्रैकिंग को रोका जा सके।
👉 Rule of Thumb (सामान्य नियम):
- Mid-span पर Extra Bottom Steel = Main Bar का 25%–50%
- Supports (Beam-Column Joint) पर Extra Top Steel = Main Bar का 25%–50%
(D) एक्स्ट्रा स्टील की लंबाई कैसे निकालें? (Cutting Length Formula)
Bottom Extra Steel (L/4 Rule):
- बीम की लंबाई = L
- एक्स्ट्रा स्टील की लंबाई = L/4 (दोनों तरफ से extend करके लगाया जाता है)।
Top Extra Steel (L/4 Rule):
- सपोर्ट (Support) पर Extra Top Steel लगाया जाता है।
- सपोर्ट से L/4 तक फैलाया जाता है।
👉 उदाहरण:
अगर बीम की लंबाई 4m (4000mm) है –
- Bottom Extra Steel = 4000 ÷ 4 = 1000 mm (प्रत्येक साइड से)
- Top Extra Steel = 1000 mm सपोर्ट पर
(E) स्टील लगाने के नियम (IS Code अनुसार)
- बीम में न्यूनतम 4 बार लगाना अनिवार्य है (2 ऊपर और 2 नीचे)।
- अधिक लोड वाले बीम में 6 या 8 बार तक भी लगाए जाते हैं।
- Cover Block का इस्तेमाल ज़रूरी है (25mm–40mm)।
- Lap Length = 50D (जहाँ D = बार का डायामीटर)।
5. बीम में रिंग (Stirrups) क्या होते हैं?
बीम में लगाए जाने वाले रिंग (Stirrups या Shear Reinforcement) छोटे-छोटे क्लोज्ड स्टील लूप होते हैं, जो मुख्य बार (Top और Bottom Bars) को एक साथ पकड़कर रखते हैं और बीम को Shear Force (कतरने वाले बल) से बचाते हैं।
रिंग का काम (Functions of Stirrups)
- मेन बार को सही पोजीशन में पकड़कर रखना।
- बीम को Shear Cracks (तिरछे क्रैक) से बचाना।
- लोड को पूरे बीम में समान रूप से ट्रांसफर करना।
- बीम को Earthquake और Heavy Load में मजबूत बनाना।
6. रिंग का साइज कैसे निकाले?
रिंग का कटिंग लेंथ (Cutting Length) निकालने के लिए फार्मूला प्रयोग होता है।
Formula (IS Code अनुसार):
Cutting Length = (Clear Span of Beam – 2 × Cover) + (2 × Depth of Beam – 2 × Cover) + Hook Length
👉 Hook Length = 9D (जहाँ D = बार का डायामीटर)
👉 अगर 135° हुक है तो = 10D
Example:
मान लीजिए बीम का Size = 300mm (Depth) × 230mm (Width)
- Cover = 25mm
- Stirrup Bar Diameter = 8mm
Step-1: Clear Size निकालना
- Width (230 – 2×25) = 180mm
- Depth (300 – 2×25) = 250mm
Step-2: Cutting Length निकालना
= 2 × (180 + 250) + (Hook Length × 2)
= 2 × 430 + (9D × 2)
= 860 + (9×8×2)
= 860 + 144
= 1004mm ≈ 1m (प्रत्येक रिंग की लंबाई)
7. हुक (Hooks) क्या होते हैं?
रिंग (stirrups) के दोनों सिरों पर छोटे-छोटे मोड़ (Hooks) बनाए जाते हैं ताकि वह खुलें नहीं और मजबूती से जमे रहें।
हुक के प्रकार:
-
90° Hook:
- छोटा मोड़, साधारण कंस्ट्रक्शन में प्रयोग।
-
135° Hook:
- सबसे ज्यादा मजबूत।
- IS Code में shear reinforcement के लिए 135° hook अनिवार्य है।
-
180° Hook:
- बहुत कम प्रयोग होता है।
👉 Best Hook = 135° Hook
क्योंकि यह स्लिप (slip) नहीं करता और IS 2502 Code में भी अनुशंसित है।
8. बीम में रिंग की स्पेसिंग (Stirrup Spacing)
रिंग हर जगह समान दूरी पर नहीं लगाई जाती।
IS Code Rule (IS 456:2000):
- Beam के सपोर्ट (Ends) पर Spacing = d/4 (जहाँ d = effective depth)
- Beam के Mid-Span पर Spacing = d/2 या 300mm (जो भी छोटा हो)
👉 Example:
अगर बीम की Effective Depth = 300mm
- सपोर्ट पर स्पेसिंग = 300/4 = 75mm (अधिकतम 100mm)
- मिड-स्पैन पर स्पेसिंग = 300/2 = 150mm (अधिकतम 300mm)
9. बीम में स्टील कैसे लगाया जाता है? (Step-by-Step)
-
Cover Block लगाना:
- बीम के नीचे और साइड में 25mm–40mm Cover Block रखें।
-
Bottom Bars रखना:
- बीम के निचले हिस्से में Main Bottom Bars रखें।
-
Rings डालना:
- पहले से तैयार रिंग (Stirrups) को Bars के ऊपर चढ़ाएं।
- सभी रिंग्स को सही Spacing पर सेट करें।
-
Top Bars रखना:
- रिंग्स के अंदर ऊपर की तरफ Top Bars रखें।
-
Extra Bars लगाना:
- Mid-span पर Bottom Extra Steel और सपोर्ट पर Top Extra Steel लगाएं।
-
Binding Wire से बाँधना:
- सभी joints पर Binding Wire (20 gauge) से टाइट बाँधें।
-
Final Check:
- Cover Blocks, Bars की Position और Spacing चेक करें।
10. बीम में लाप लेंथ (Lap Length) और एंकरिंग (Anchorage)
- जब स्टील की लंबाई पूरी बीम तक न पहुँचे तो उसे Lap करना होता है।
- Lap Length = 50D (जहाँ D = Bar का Diameter)
- Anchorage Length = 40D (Bar को कॉलम या सपोर्ट में Embed करना)।
11. बीम में क्रैंक (Crank) और कर्टेल (Curtailment)
(A) क्रैंक (Cranked Bars) क्या होते हैं?
क्रैंक का मतलब है स्टील बार को झुकाकर (Bend करके) लगाना।
- ये झुकाव 45° या 60° पर किया जाता है।
- प्रायः Slab Reinforcement में Crank बार ज्यादा प्रयोग होते हैं (Top & Bottom distribution के लिए)।
- बीम में भी कुछ जगह Crank Bars प्रयोग किए जा सकते हैं जहाँ Moment बदलता है।
👉 फायदा:
- सपोर्ट और Mid-span दोनों जगह Steel requirement कम होती है।
- Economy और Safety दोनों मिलती हैं।
👉 नुकसान:
- Crank देने में ज्यादा समय और लेबर लगता है।
- Binding व Formwork पर असर पड़ता है।
(B) कर्टेल (Curtailment of Bars) क्या है?
Curtailment का मतलब है स्टील बार को बीच में कहीं काट देना (Terminate करना) ताकि केवल वहीं तक लगाया जाए जहाँ उसकी आवश्यकता हो।
- Simply Supported Beam में Mid-span पर ज्यादा Bending होती है, इसलिए वहाँ Bottom Bars Extra लगाते हैं।
- लेकिन सपोर्ट पर Bending Moment कम हो जाता है, इसलिए वहाँ Bars को Curtail कर सकते हैं।
- IS 456:2000 Code में Curtailment Rules दिए गए हैं।
👉 Example:
- Bottom Extra Steel को L/4 distance तक extend करके Curtail किया जाता है।
- Top Extra Steel को Support से L/4 तक extend करके Curtail किया जाता है।
(C) क्रैंक vs कर्टेल (Difference)
| पैरामीटर | क्रैंक (Crank) | कर्टेल (Curtailment) |
|---|---|---|
| परिभाषा | बार को झुकाकर लगाना | बार को बीच में काट देना |
| प्रयोग | Slab और कुछ Beam Cases | Beam और Column Joints |
| फायदा | Moment distribution बेहतर | Economy + Steel Saving |
| नुकसान | Complicated और Time Consuming | IS Code के नियम सख्त |
| Best Use | Slab Reinforcement | Beam Reinforcement |
![]() |
| Curtail beam and top extra and bottom extra |
👉 निष्कर्ष:
Beam में Curtailment बेहतर माना जाता है, क्योंकि यह IS Code के अनुसार होता है और Beam की Economy को Maintain करता है।
Crank Bars का प्रयोग Beam में बहुत Rare होता है, ज़्यादातर Slab में ही इस्तेमाल किया जाता है।
12. बीम के प्रकार (Types of Beams)
बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन में बीम कई प्रकार की होती हैं। आइए एक-एक करके समझते हैं।
(A) सपोर्ट के आधार पर (Based on Support Condition)
-
Simply Supported Beam (सरल समर्थित बीम):
-
Cantilever Beam (कैन्टिलीवर बीम):
-
Continuous Beam (सतत बीम):
- दो से ज्यादा Support पर टिका हुआ।
- Multi-span Structures में प्रयोग।
Continue beam
-
Fixed Beam (स्थिर बीम):
- दोनों सिरे Fixed रहते हैं (Rotation Free नहीं)।
- बहुत Strong लेकिन Designing Complicated।
Fixed beam
-
Overhanging Beam (ओवरहैंगिंग बीम):
- बीम का एक सिरा Support से बाहर निकला रहता है।
- Bridge Construction में अधिक प्रयोग।
(B) Reinforcement के आधार पर (Based on Reinforcement)
-
Singly Reinforced Beam:
- केवल Bottom Bars लगाई जाती हैं।
- Light Load के लिए।
-
Doubly Reinforced Beam:
- Bottom और Top दोनों तरफ Steel लगाई जाती है।
- Heavy Load और High Rise Building में प्रयोग।
-
Flanged Beams (T-Beam, L-Beam, Inverted Beam):
- Slab के साथ Monolithic Cast होने के कारण Beam का Section T या L Shape का बन जाता है।
- High Strength और Economy के लिए प्रयोग।
(C) Material के आधार पर (Based on Material)
-
RCC Beam (Reinforced Cement Concrete Beam):
- सबसे ज्यादा प्रयोग होने वाला।
- Concrete + Steel का Combination।
-
Steel Beam:
- Multi-storey Building, Industrial Structure में प्रयोग।
- I-Beam, H-Beam, Channel Section।
-
Composite Beam:
- RCC + Steel का Combination।
- Bridges और Special Structures में।
-
Timber Beam:
- पुराने जमाने में इस्तेमाल। अब Rare है।
13. बीम का डिजाइन क्यों जरूरी है?
- बीम का सही प्रकार चुनना ज़रूरी है क्योंकि हर बीम की Strength और Function अलग होती है।
- High Load Structure में Doubly Reinforced और T-Beam बेहतर।
- Normal Residential Building में Simple RCC Singly Reinforced Beam पर्याप्त।
✅ इस Part-3 में हमने सीखा:
- Crank और Curtailment क्या है, और Beam में कौन सा बेहतर है।
- Beam के प्रकार (Support, Reinforcement और Material के आधार पर)।
- बीम का सही चयन क्यों ज़रूरी है।
14. बीम कंस्ट्रक्शन की स्टेप-बाय-स्टेप प्रक्रिया
बीम बनाने की पूरी प्रक्रिया को चार मुख्य स्टेप्स में बाँटा जा सकता है:
(A) Formwork (शटरिंग)
- सबसे पहले बीम के आकार (Size) के अनुसार शटरिंग लगाई जाती है।
- शटरिंग मजबूत और Leak-proof होनी चाहिए।
- शटरिंग में Oil या Shuttering Grease लगाया जाता है ताकि कंक्रीट चिपके नहीं।
👉 Important Point:
- शटरिंग बीम के नीचे और साइड में इतनी मजबूत हो कि कंक्रीट का पूरा भार झेल सके।
- Beam और Slab के Joint में कोई Gap न हो।

Shuttering in beam
(B) Reinforcement Fixing (लोहे की जाली लगाना)
- Cover Blocks रखें (25mm–40mm)।
- Bottom Bars सही पोजीशन में रखें।
- Stirrups (Rings) सही Spacing पर डालें और Binding Wire से बाँधें।
- Top Bars और Extra Bars लगाएँ।
- Lap Length और Anchorage Code अनुसार रखें।
- Final Checking करें – Spacing, Alignment और Cover Blocks।
👉 Golden Rule:
- Beam Reinforcement को कभी भी Direct Soil पर न रखें।
- Binding Wire Tight हो और Bars हिलें नहीं।
(C) Concreting (कंक्रीट डालना)
- बीम और स्लैब का कंक्रीट Monolithic (एक साथ) डाला जाना चाहिए।
- Concrete Mix – M20 (1:1.5:3) या उससे Higher Grade।
- Proper Vibrator से Compaction करें ताकि Honeycomb न बने।
- Concrete डालते समय Joints Avoid करें।
👉 Tip:
- अगर Construction Large है तो Ready-Mix Concrete (RMC) बेहतर है।
(D) Curing (क्योरिंग)
- Beam Casting के 24 घंटे बाद शटरिंग हटाई जा सकती है (Side)।
- Beam का Proper Curing 14–21 दिन तक करें।
- Beam को सूखने न दें वरना Cracks आ सकते हैं।
15. बीम डिजाइन के लिए IS Code Guidelines
भारत में बीम के डिजाइन और कंस्ट्रक्शन के लिए IS 456:2000 (Plain and Reinforced Concrete Code) लागू होता है।
महत्वपूर्ण गाइडलाइन:
-
Minimum Reinforcement:
- Cross-sectional Area का 0.85% (Fe 415 Steel के लिए)।
-
Spacing of Stirrups:
- सपोर्ट पर d/4 (लेकिन ≤ 100mm)।
- Mid-span पर d/2 (लेकिन ≤ 300mm)।
-
Lap Length:
- 50D (जहाँ D = Bar Diameter)।
-
Anchorage Length:
- 40D से कम नहीं।
-
Concrete Grade:
- RCC Beam के लिए Minimum Grade = M20।
-
Cover:
- Beam Reinforcement के लिए Minimum Cover = 25mm।
-
Deflection Control:
- Span/Depth Ratio = 20 (Singly Reinforced Beam)।
- Doubly Reinforced Beam के लिए अलग नियम।
16. बीम डिजाइन और कंस्ट्रक्शन में आम गलतियाँ
- Proper Cover Blocks का इस्तेमाल न करना।
- Lap Length छोटी रखना।
- Binding Wire ढीली रखना।
- Concreting में Vibrator न चलाना।
- Beam और Slab को अलग-अलग Cast करना।
- Curing में लापरवाही करना।
👉 इन गलतियों से Beam Weak हो सकती है और Cracks आ सकते हैं।
17. निष्कर्ष (Conclusion)
बीम किसी भी बिल्डिंग का सबसे महत्वपूर्ण स्ट्रक्चरल एलिमेंट है। अगर इसे सही Design और Detailing से न बनाया जाए तो पूरी Building की Stability खतरे में पड़ सकती है।
इस पूरे ब्लॉग (5100+ शब्द) में हमने सीखा:
- बीम क्या है और इसका महत्व।
- बीम पर लगने वाले लोड।
- बीम में Main, Top और Bottom Extra Steel कैसे लगाते हैं।
- रिंग (Stirrups) का साइज, हुक और स्पेसिंग।
- Beam Reinforcement की Step-by-Step प्रक्रिया।
- Crank और Curtailment में अंतर और कौन सा बेहतर है।
- बीम के प्रकार – Support, Reinforcement और Material के आधार पर।
- IS Code Guidelines और Construction Mistakes।
👉 अगर आप Beam Construction में ये सभी नियम ध्यान रखें तो आपकी Building Strong, Durable और Safe बनेगी।
दोस्तों अगर आपको ऊपर आर्टिकल में कुछ कमी लगी हो तो बताइएगा कमेंट करके और अगर अच्छा लगा हो तो हमारे ब्लॉग को फॉलो करके शेयर जरूर कीजिएगा।



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